महाविद्या धूमावती मंत्र साधना

DhumaVati Tantra

महाविद्या धूमावती मंत्र साधना प्रयोग

धर्म अर्थ काम मोक्ष प्रदान करने वाली देवी है —
“महाविद्या धूमावती देवी”।

एक बार देवी पार्वती भगवान शिव के साथ कैलाश पर विराजमान थीं। उन्हें अकस्मात् बहुत भूख लगी और उन्होंने वृषभ-ध्वज पशुपति से कुछ खाने की इच्छा प्रकट की।
शिव के द्वारा खाद्य पदार्थ प्रस्तुत करने में विलम्ब होने के कारण क्षुधापीडितापार्वती ने क्रोध से भर कर भगवान शिव को ही निगल लिया।

ऐसा करने के फलस्वरूप पार्वती के शरीर से धूम-राशि निस्सृत होने लगी जिस पर भगवान शिव ने अपनी माया द्वारा देवी पार्वती से कहा, धूम्र से व्याप्त शरीर के कारण तुम्हारा एक नाम
धूमावती पडेगा-
धूमव्याप्तशरीरात्तूततोधूमावतीस्मृता।

शिव ने आगे कहा कि जब तुमने मेरा ही भक्षण कर लिया तब तुम स्वभावत:विधवा हो गई। तब शिव नें कहा देवी ये आप निराश न हों क्योंकि सृष्टि सञ्चालन के लिए व पापियों को दण्डित करने के लिए एक रहस्य स्वरूप की आवश्यकता थी, जिसे युक्ति पूर्वक आपके द्वारा उत्तपन्न किया गया है, क्योंकि इस महाकार्य को आपके सिवा कोई नहीं कर सकता साथ ही आपके कार्य में अनुक्ष न हो इसलिए में लुप्त हूँ आपके उअदर में हूँ, आप इस महाकार्य को संपन्न करें।
अत:स्पष्ट होता है कि धूमावतीऔर पार्वती में अभेद है दस महाविद्यायों में दारुण विद्या कह कर देवी को पूजा जाता है शाप देने नष्ट करने  तथा संहार करने की जितनी भी क्षमताएं है वो देवी के कारण ही है देवी का प्रमुख नक्षत्र ज्येष्ठा नक्षत्र है , साथ ही देवी को भी ज्येष्ठा कहा जाता है।

क्रोधमय ऋषियों की मूल शक्ति धूमावती हैं जैसे दुर्वासा, अंगीरा, भृगु, परशुराम आदि सृष्टि कलह के देवी होने के कारण इनको कलहप्रिय भी कहा जाता है ।
चौमासा ही देवी का प्रमुख समय होता है जब इनको प्रसन्न किया जाता है नरक चतुर्दशी देवी का ही दिन होता है जब वो पापियों को पीड़ित व दण्डित करती हैं निरंतर इनकी स्तुति करने वाला कभी धन विहीन नहीं होता व उसे दुःख छूते भी नहीं बड़ी से बड़ी शक्ति भी इनके सामने नहीं टिक पाती है।
इनका तेज सर्वोच्च कहा जाता है श्वेतरूप व धूम्र अर्थात धुंआ इनको प्रिय है पृथ्वी के आकाश में स्थित बादलों में इनका निवास होता है।देवी की कृपा से साधक धर्म अर्थ काम और मोक्ष प्राप्त कर लेता है गृहस्थ साधक को सदा ही देवी की सौम्य रूप में साधना पूजा करनी चाहिए देवी ब्रिद्ध हैं अतः इनको वस्त्र भोजन व प्रसाद से शीध्र  प्रसन्न किया जा सकता है।
कुण्डलिनी कुण्डलिनी चक्र के मूल में स्थित कूर्म में इनकी शक्ति विद्यमान होती है।
देवी साधक के पास बड़े से बड़ी बाधाओं से लड़ने और उनको जीत लेने की क्षमता आ जाती है, देवी की मूर्ती पर भस्म चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है महाविद्या धूमावती के मन्त्रों से होता है बड़े से बड़े दुखों का नाश देवी माँ का स्वत:शास्त्रों में देवी को ही प्राण संचालिनी कहा गया है देवी की स्तुति से देवी की अमोघ कृपा प्राप्त होती है।
मंत्र सिद्घ धूमावती यंत्र माला लेकर साधना शुरू करें।
धूमावती यंत्र की विधिपूर्वक स्थापित पूजन धूप दीप लगा कर साधना करें।
स्तुति-:

विवर्णा चंचला दुष्टा दीर्घा च मलिनाम्बरा, विवरणकुण्डला रूक्षा विधवा विरलद्विजा, काकध्वजरथारूढा विलम्बित पयोधरा, सूर्यहस्तातिरुक्षाक्षी धृतहस्ता वरान्विता, प्रवृद्वघोणा तु भृशं कुटिला कुटिलेक्षणा, क्षुतपिपासार्दिता नित्यं भयदा कलहप्रिया।

सिद्ध मंत्र–

महामंत्र है- श्री महाविद्या धूमावती महामंत्र
ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा
अथवा
ॐ धूं धूं धूमावती ठ: ठ:

इस मंत्र से काम्य प्रयोग भी संपन्न किये जाते हैं व देवी को पुष्प अत्यंत प्रिय हैं इसलिए केवल पुष्पों के होम से ही देवी कृपा कर देती है,आप भी मनोकामना के लिए यज्ञ कर सकते हैं,

जैसे- 1. राई में नमक मिला कर होम करने से बड़े से बड़ा शत्रु भी समूल रूप से नष्ट हो जाता है
2.नीम की पत्तियों सहित घी का होम करने से लम्बे समस से चला आ रहा ऋण नष्ट होता है 3.जटामांसी और कालीमिर्च से होम करने पर काल्सर्पादी दोष नष्ट होते हैं व क्रूर ग्रह भी नष्ट होते हैं
4. रक्तचंदन घिस कर शहद में मिला लेँ व जौ से मिश्रित कर होम करें तो दुर्भाग्यशाली मनुष्य का भाग्य भी चमक उठता है
5.गुड व गाने से होम करने पर गरीबी सदा के लिए दूर होती है
6 .केवल काली मिर्च से होम करने पर कारागार में फसा व्यक्ति मुक्त हो जाता ह
ै 7 .मीठी रोटी व घी से होम करने पर बड़े से बड़ा संकट व बड़े से बड़ा रोग अति शीग्र नष्ट होता है महाअंक-देवी द्वारा उतपन्न गणित का अंक जिसे स्वयं दारुणरात्री ही कहा जाता है वो देवी का महाअंक है -“6” विशेष पूजा सामग्रियां-पूजा में जिन सामग्रियों के प्रयोग से देवी की विशेष कृपा मिलाती है सफेद रंग के फूल, आक के फूल, सफेद वस्त्र व पुष्पमालाएं चढ़ाएं केसर, अक्षत, घी, सफेद तिल, धतूरा, आक, जौ, सुपारी व नारियल पंचमेवा व सूखे फल प्रसाद रूप में अर्पित करें सूप की आकृति पूजा स्थान पर रखें भोजपत्र पर
ॐ धूं ॐ
लिख करा चदएं दूर्वा, गंगाजल, शहद, कपूर, चन्दन चढ़ाएं, संभव हो तो मिटटी के पात्रों का ही पूजन में प्रयोग करें सभी चढ़ावे चढाते हुये देवी का ये मंत्र पढ़ें-

ॐ दारुणरात्री स्वरूपिन्ये नम:
सबसे महत्पूरण होता है देवी का महा यंत्र   जिसके बिना साधना कभी पूर्ण नहीं होती इसलिए देवी के यन्त्र को जरूर स्थापित करे व पूजन करें यन्त्र के पूजन की रीति है- पंचोपचार पूजन करें-धूप,दीप,फल,पुष्प,जल आदि चढ़ाएं

ॐ धूम्र शिवाय नम: मम यंत्रोद्दारय-द्दारय

कहते हुये पानी के 21 बार छीटे दें व पुष्प धूप अर्पित करें देवी को प्रसन्न करने के लिए सह्त्रनाम त्रिलोक्य कवच आदि का पाठ शुभ माना गया है ।
यदि आप बिधिवत पूजा पाठ नहीं कर सकते तो, मूल मंत्र के साथ साथ नामावली का गायन करें धूमावती शतनाम का गायन करने से भी देवी की कृपा आप प्राप्त कर सकते हैं धूमावती शतनाम को इस रीति से गाना चाहिए-
धूमावती धूम्रवर्णा धूम्र पानपरायणा, धूम्राक्षमथिनी धन्या धन्यस्थाननिवासिनी, अघोराचारसंतुष्टा अघोराचारमंडिता, अघोरमंत्रसम्प्रीता अघोरमंत्रसम्पूजिता।।
देवी को अति शीघ्र प्रसन्न करने के लिए अंग न्यास व आवरण हवन तर्पण व मार्जन सहित पूजा करें।

देवी के कुछ इच्छा पूरक मंत्र
1) देवी धूमावती का शत्रु नाशक
मंत्र -:
ॐ ठ ह्रीं ह्रीं वज्रपातिनिये स्वाहा
सफेद रंग के वस्त्र और पुष्प देवी को अर्पित करें नवैद्य प्रसाद,पुष्प,धूप दीप आरती आदि से पूजन करें रुद्राक्ष की माला से 7 माला का मंत्र जप करें रात्री में बैठ कर मंत्र जाप से शीघ्र फल मिलता है सफेद रंग का वस्त्र आसन के रूप में रखें या उनी कम्बल का आसन रखें दक्षिण दिशा की ओर मुख रखें अखरोट का फल प्रसाद रूप में चढ़ाएं।
2) देवी धूमावती का धन प्रदाता
मंत्र —
ॐ धूं धूं सः ह्रीं धुमावतिये फट ।।
नारियल, कपूर व पान देवी को अर्पित करें काली मिर्च से हवन करें रुद्राक्ष की माला से 7 माला का मंत्र जप करें
3) देवी धूमावती का ऋण मोचक मंत्र
ॐ धूं धूं ह्रीं आं हुम।।

देवी पूजा हेतु भस्म अर्पित करें देवी को वस्त्र व इलायची समर्पित करें रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें किसी बृक्ष के किनारे बैठ कर मंत्र जाप से शीघ्र फल मिलता है।
सफेद रग का वस्त्र आसन के रूप में रखें या उनी कम्बल का आसन रखें उत्तर दिशा की ओर मुख रखें खीर प्रसाद रूप में चढ़ाएं
4) देवी धूमावती का सौभाग्य बर्धक
मंत्र–
ॐ ऐं ह्रीं धूं धूं धुमावतिये ह्रीं ह्रीं स्वाहा।।
देवी को पान अर्पित करना चाहिए रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें एकांत में बैठ कर मंत्र जाप से शीघ्र फल मिलता है सफेद रग का वस्त्र आसन के रूप में रखें या उनी कम्बल का आसन रखें पूर्व दिशा की ओर मुख रखें पेठा प्रसाद रूप में चढ़ाएं।
5) देवी धूमावती का ग्रहदोष नाशक मंत्र -:
ॐ ठ: ठ: ठ: ह्रीं हुम स्वाहा।

देवी को पंचामृत अर्पित करें रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें देवी की मूर्ती के निकट बैठ कर मंत्र जाप से शीघ्र फल मिलता है सफेद रग का वस्त्र आसन के रूप में रखें या उनी कम्बल का आसन रखें उत्तर दिशा की ओर मुख रखें नारियल प्रसाद रूप में चढ़ाएं।

देवी की पूजा में सावधानियां व निषेध-

बिना “धूम्रशिव” की पूजा के महाविद्या छिन्नमस्ता की साधना न करें लाल वस्त्र देवी को कभी भी अर्पित न करें साधना के दौरान अपने भोजन आदि में गुड व गन्ने का प्रयोग न करें देवी भक्त ध्यान व योग के समय भूमि पर बिना आसन कदापि न बैठें।
पूजा में कलश स्थापित न करें।

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