त्रिक्ष्ण धूमावती तंत्र बाधा निवारण

Dhumavati

त्रिक्ष्ण धूमावती साधना ( मारण प्रयोग या तंत्र बाधा निवारण के लिए ) धूमावती माँ का नाम सुनते ही , बड़े से बड़े तांत्रिक, अघोरियों के छक्के छूट जाते है लेकिन मेरी माँ धूमावती दया की सागर है करुणा निधि है तीन दिवसीय अगर परिवार में कोई समस्या है, तो अवश्य ही यह मंत्र प्रयोग करना चाहिए।
अगर घर पर तंत्र प्रयोग हुआ हो, या किसी ने मारण प्रयोग किया हो या घर में हमेशा दरिद्रता बनी रहती हो, इलाज के बाद भी व्यक्ति ठीक नहीं हो रहा हो और स्वास्थ्य निरंतर गिरता जा रहा हो।
तो व्यक्ति का जीवन भार स्वरूप हो भार स्वरूप लग रहा हो ! वह जितना भी परिश्रम करता है, उतना ही अवउन्नति की ओर अग्रसर होता रहता है ।
एेसे में केवल एक ही उपाय शेष रह जाता है,
जिसको शास्त्रों में
*त्रिक्ष्ण धूमावती प्रयोग* कहा है
उग्र इसलिए क्योंकि इसका हाथों-हाथ प्रभाव देखने को मिलता है, और जिस प्रकार से कड़कती बिजली प्रकाश उत्पन्न कर देती है उसी प्रकार यह प्रयोग व्यक्ति की सभी दुभिधाओं और शत्रुओं का अंत कर देती है , और वह निश्चित होकर उन्नति की तरफ अग्रसर होने लगता है।
उसमें मंत्र सिद्ध प्राणप्रतिष्ठा युक्त त्रिक्ष्ण धूमावती मंत्र सिद्ध  यंत्र, माला, वज्र दण्ड,4 हकीक ,  आवश्यकता होती है ।
साधक काले आसन पर दक्षिण दिशा की और मुख होकर बैठे और अपने सामने काले वस्त्र के ढके हुये बाजोट पर राई के तेल का दीपक लगायें , राई की ढेरी पर त्रिक्ष्ण धूमावती यंत्र को स्थापित कर उसके सामने वज्रदण्ड और हल्ट हकीक स्थापित कर उसका काजल से पूजन संपन्न करें।

नोट – अगर परिवार का सदस्य बहुत बीमार हो ,
ओर वो साधना करने में असमर्थ है तो , गुरू जी या उसके लिए सामान्य संकल्प करके घर का कोई भी व्यक्ति साधना कर सकता है , लेकिन साधना बीमार व्यक्ति के घर पर ही करनी अनिवार्य है ! काली हकीक माला को गले में धारण कर इसके बाद उपरांत निम्न मंत्र को नियमित 3 दिन रात्रि 10 बजे के बाद (65 मिनिट ) जाप करें।

मंत्र – मंत्र साधना

साधना समाप्ति पर यंत्र को जल में विषर्जन करदें और वज्रदण्ड को रोगी के सिर की तरफ रख दें और चारों सुलेमानी हकीक पत्थरों को घर के चारों कोनों में रख दें !

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